the chaitra navratri auspicious time and method Kalash/ Ghat installation, chaitra navaratra ghat sthapana shubha mahurat
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिंदू नव वर्ष का पहला दिन। इसी दिन से वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ भी होता है। इन नौ दिनों में मां भगवती दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। हिंदू परिवारों में नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है, जिसमें ज्वारे(एक प्रकार का धान) बोया जाता है। इसकी शास्त्र सम्मत विधि इस प्रकार है-
घट स्थापना के लिए सम्मुखी चैत्र प्रतिपदा श्रेष्ठ होती है। अमावस्यायुक्त प्रतिपदा में पूजन नहीं करें। घट स्थापना सुबह ही करें परंतु चित्रा या वैधृतियोग हो तो उस समय घट स्थापना न कर दोपहर में अभिजित मुहूर्त या अन्य शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें।
सर्वप्रथम स्नान कर गाय के गोबर से पूजा स्थल का लेपन करें। घट स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी का निर्माण करें, फिर उसमें जौ और गेहूं बोएं तथा उस पर अपनी इच्छा के अनुसार मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का कलश स्थापित करें। यदि पूर्ण विधिपूर्वक घट स्थापना करना हो तो पंचांग पूजन(गणेश-अंबिका, वरुण, षोडशमातृका, सप्तघृतमातृका, नवग्रह आदि देवों का पूजन) तथा पुण्याहवाचन (मंत्रोंच्चार) ब्राह्मण द्वारा कराएं अथवा स्वयं करें।
इसके बाद कलश पर देवी की मूर्ति स्थापित करें तथा उसका षोडशोपचारपूर्वक पूजन करें। इसके बाद श्रीदुर्गासप्तशती का संपुट अथवा साधारण पाठ करें। पाठ की पूर्णाहुति के दिन दशांश हवन अथवा दशांश पाठ करना चाहिए।
दीपक स्थापन
घट स्थापना के साथ दीपक की स्थापना भी की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं तथा उसका गंध, चावल, व फूल से पूजा करें। इस मंत्र का जप करें-
भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं ह्यन्धकारनिवारक।
इमां मया कृतां पूजां गृह्णंस्तेज: प्रवर्धय।।
घट स्थापना के मुहूर्त
सुबह 9.30 से 10.30
दोपहर 3: 30 से शाम 5: 20 तक
यह मुहूर्त घट स्थापना के लिए विशेष शुभ है। यदि इस समय घट स्थापना न कर पाएं तो नीचे लिखे चौघडि़ए के अनुसार भी घट स्थापना कर सकते हैं-
अमृत- सुबह 6: 30 से 8: 00 बजे तक
शुभ- सुबह 9: 30 से 11 बजे तक
लाभ- दोपहर 3: 30 से शाम 5 बजे तक
अमृत- शाम 5 से 6: 30 बजे तक
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