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Sunday, April 3, 2011

4 अप्रैल 2011 से हिंदू नव वर्ष 2068

Hindu New Year 2068 starting at eight of the April 3, 2011 night, Vikram New Year 2068,


VIKRAM NEW YEAR 2068
चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा सोमवार से चैत्र नवरात्र शुरू होंगे। इस मौके पर शुभ मुहूर्त में घर-घर में घटस्थापना की जाएगी। नवरात्र में भक्त दुर्गा सप्तशती पाठ, कुमारिका पूजन से देवी की आराधना करेंगे।

चैत्र नवरात्र माँ भगवती जगत जननी को आह्वान कर दुष्टात्माओं का नाश करने के लिए जगाया जाता है। प्रत्येक नर-नारी जो हिन्दू धर्म की आस्था से जुड़े हैं वे किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं देवी की उपासना करते ही हैं। फिर चाहे व्रत रखें, मंत्र जाप करें, अनुष्ठान करें या अपनी-अपनी श्रद्धा-‍भक्ति अनुसार कर्म करते रहें। वैसे माँ के दरबार में दोनों ही चैत्र व अश्विन मास में पड़ने वाले शारदीय नवरात्र की धूमधाम रहती है। सबसे अधिक अश्विन मास में जगह-जगह गरबों की, जगह-जगह देवी प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा है।

घरों में सर्वश्रेष्ठ समय सुबह 7.19 से 7.52 तक घट स्थापना की जाएगी। नवरात्र का पहला दिन शैलपुत्री के नाम होता है। इन्हें ही प्रथम दुर्गा कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।

वृषभ-स्थिता इन माताजी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम ‘सती’ था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया।

सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा, और उन्होंने अपने आप को वहीं भस्म कर लिया जिसके बाद नाराज शंकर जी मां के शरीर को लेकर तांडव करने लगा जिसके चलते धरती पर जहां जहां मां के शरीर गिरे वहा-वहां एक शक्तिपीठ बन गया है।

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