औषधि एक फायदे अनेक भाग: 4 (तुलसी-Tulsi) One tulsi multiple benefits
तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है।
तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है।

तुलसी की सामान्यतया निम्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
१-ऑसीमम अमेरिकन (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी।
२-ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा।
३-ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम।
४-आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी बन तुलसी)।
५-ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)।
६-ऑसीमम सैक्टम तथा
७-ऑसीमम विरिडी। इनमें ऑसीमम सैक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना गया जाता है,
इसकी भी दो प्रधान प्रजातियाँ हैं-
श्री तुलसी जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियाँ निलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं।
श्री तुलसी के पत्र तथा शाखाएँ श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं। गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं।
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं।
[१] भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है।
[२] इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है।
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