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प्रश्न कुण्डली से जाने स्वास्थ्य लाभ के योग
सभी व्यक्ति स्वयं के और अपने स्वजनो के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता है। लेकिन हमारा शरीर में विभिन्न कारणो से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां समय के साथ-साथ आती-जाती रहती हैं।
लेकिन यदि बिमारी होने पर स्वास्थ्य में जल्दी सुधार नहीं होता तो, तरह-तरह की चिंता और मानसिक तनाव होना साधारण बात हैं। कि स्वास्थ्य में सुधार कब आयेगा?, कब उत्तम स्वास्थ्य लाभ होगा?, स्वास्थ्य लाभ होगा या नहीं?, इत्यादि प्रश्न उठ खडे हो जाते हैं।
मनुष्य की इसी चिंताको दूर करने के लिए हजारो वर्ष पूर्व भारतीय ज्योतिषाचार्यो नें प्रश्न कुंडली के माध्यम से ज्ञात करने की विद्या हमें प्रदान की हैं। जिस के फल स्वरुप किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नो का ज्योतिषी गणनाओं के माध्यम से सरलता से समाधन किया जासकता हैं!
प्रश्न कुंडली के माध्यम से स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी प्राप्त करने हेतु सर्व प्रथम प्रश्न कुंडली में रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के योग हैं या नहीं यह देख लेना अति आवश्यक हैं।
आपके मार्गदर्शन हेतु यहां विशेष योग से आपको अवगत करवा रहे हैं।
लग्न में स्थित ग्रह या लग्नेश से रोग मुक्ति के योग।
• यदि लग्न में बलवान ग्रह स्थित हो तो रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ देते हैं।
प्रश्न कुंडली में यदि लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) और दशमेश (दशम भाव का स्वामी ग्रह) मित्र हो तो रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ ……………..>>
चन्द्रमा से रोग मुक्ति के योग
• यदि चन्द्र स्वराशि या उच्च राशि मे बलवान हो कर किसी शुभ ग्रह से युक्त हो या द्रष्ट हो तो रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होते देखा गया हैं।
यदि प्रश्न कुंडली में यदि चन्द्र चर राशि अर्थात द्विस्वभाव राशि में स्थित हो ……………..>>
प्रश्न कुंडली के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ में विलम्ब होने के योग देख लेना भी आवश्यक होता हैं।
स्वास्थ्य लाभ में विलंब होने के योग
• सधारणतः जातक में षष्टम भाव व षष्टेश से रोग को देखा जाता हैं।
प्रश्न कुंडली में यदि लग्नेश और दशमेश के बीच ……………..>>
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यदि प्रश्न कुंडली में स्वास्थ्य लाभ में विलंब होने के योग बन रहे हो तो चिंतित होने के बजाय शास्त्रोक्त उपाय इत्यादि करना लाभदायक सिद्ध होता हैं। एसी स्थिती में विद्वानो के मत से महामृत्युंजय मंत्र-यंत्र का प्रयोग शीघ्र रोग मुक्ति हेतु रामबाण होता हैं।
प्रश्न कुंडली का अध्ययन करते समय यह योग भी देखले की रोगी को उचित उपयार प्राप्त हो रहा हैं या नहीं।
रोग का उचित उपचार होने के योग हैं या नहीं!
प्रश्न कुण्डली में प्रथम, पंचम, सप्तम एवं अष्टम भाव में पाप ग्रह हों और चन्द्रमा कमज़ोर या पाप ग्रह से पीड़ित हों तो रोग का उपचार कठिन हो ……………..>>
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प्रश्न कुंडली देखते समय शरीर के विभिन्न अंगो पर ग्रहो के प्रभाव एवं बिमारीयों को जानना भी आवश्यक होता हैं।
ज्योतिषी सिद्धांतो के अनुशार कुंडली के बारह भाव शरीर के विभिन्न अंगो को दर्शाते है।
- प्रथम भाव : सिर, मस्तिष्क, स्नायु तंत्र.
- द्वितीय भाव: चेहरा, गला, कंठ, गर्दन, आंख.
- तीसरा भाव : कधे, छाती, फेफडे, श्वास, नसे और बाहें.
- चतुर्थ भाव : स्तन, ऊपरी आन्त्र, ऊपरी पाचन तंत्र……………..>>
प्रश्न कुण्डली में रोग से संबंधित भाव
प्रश्न ज्योतिष के अनुसार प्रश्न कुंडली में लग्न स्थान चिकित्सक भाव होता हैं। अतः शुभ ग्रह प्रश्न कुंडली के लग्न में शुभ ग्रह की स्थिती से ज्ञात होता हैं की रोगी को किसी कुशल चिकित्सक की सलाह प्राप्त हो रही हैं या होगी।
यदि अशुभ ग्रह स्थित हो तो समझले की रोगी को ……………..>>
नोट: प्रश्न कुंडली का विश्लेषण सावधानी से करना उचित रहता हैं। विद्वानो के अनुशार प्रश्न कुंडली का विश्लेषण करते समय संबंधित भाव एवं भाव के स्वामी ग्रह अर्थातः भावेश एवं भाव के कारक ग्रह को ध्यान में रखते हुए आंकलन कर किया गया विश्लेषण स्पष्ट होता हैं। प्रश्न कुंडली का फलादेश करते समय हर छोटी छोटी बातों का ख्याल रखना आवश्यक होता हैं अन्यथा विश्लेषण किये गये प्रश्न का उत्तर स्टिक नहीं होता।
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका मई-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (मई-2011)
MAY-2011
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