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Tuesday, May 24, 2011

Shri Krushna Photo

















Photo Collection By: RINKU GURJAR

Sunday, May 22, 2011

Dolls like real Babies Photo

by Swiss Photographer Catherine Leutenegger



























Funny cute Kids Photo


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Saturday, May 21, 2011

हसी के हस गुल्ले (हिन्दी जोकस) भागा:15


 Hindi Jokes, Hasi ke Hasgulle:bhag-15, Part:15

पति (पत्नी से), ''मैंने आज शाम को एक दोस्त को खाने पर बुलाया है। आधे घंटे में आता होगा।''
''क्या बात कर रहे हो? सुबह कामवाली नहीं आई तो घर भी साफ नहीं हो सका। खाने में परसों का बैगन का भरता और तंदूर की रोटियां हैं और आधे घंटे में कुछ नहीं हो सकता है।'' पत्नी ने गुस्से में कहा।
पति, ''हां-हां, जानता हूं। बेवकूफ वह है जो शादी करने पर आमादा है। मैं चाहता हं कि वह देख ले कि शादी के बाद क्या होता है।''

लड़का, ''क्या आप के पास वाली सीट खाली है?''
लड़की, ''हां, अगर आप इस पर बैठेंगे तो मेरी वाली सीट भी खाली हो जाएगी।''

पहली औरत, ''मेरा कुत्ता बहुत बुद्धिमान है। सुबह-सुबह मेरे लिए अपने मुंह में अखबार दबा कर लाता है।''
दूसरी औरत, ''हां-हां पता है।''
पहली औरत, ''तुम्हें कैसे पता?''
दूसरी औरत, ''मेरे कुत्ते ने बताया।''

बीमार पत्नी ने दुखी होते हुए पति से कहा, ''तुम सात जन्म तक मेरा साथ दोगे न?''
''अरे तुम्हें पंडित जी ने नहीं बताया कि यह हमारा सातवां जन्म ही है?'' पति ने कहा।

सुन्दर, ''मेरे पिताजी लोगों के दुख-सुख बांटते रहते हैं।''
रामू, ''बड़े रहम दिल हैं तुम्हारे पिताजी, वह ऐसा कैसे करते हैं?''
सुन्दर, ''मेरे पिताजी पोस्टमैन हैं।''

संता, ''क्या तुम बिना खाए जीवित रह सकते हो?''
बंता, ''नहीं।''
संता, ''लेकिन मैं रह सकता हूं।''
बंता, ''कैसे?''
संता, ''ब्रेक फास्ट करके और कैसे।''

संता और बंता गाना गा रहे थे। जहां संता खड़े हो कर गाना गा रहा था वही बंता शीर्षासन में गाना गाना गा रहा था। तभी वहां से एक आदमी गुजरा और उसने संता सिंह से पूछा ''भाई सिर के बल खड़ा होकर गाना क्या गा रहा है?''
संता, ''अरे बुद्धू इतना भी नहीं समझे मैं साइड ए गा रहा हूं और ये साइड बी।''

संता, ''तुम्हारे लिए क्या महत्वपूर्ण है, पैसा या स्वास्थ्य?''
बंता, ''स्वास्थ्य।''
संता, ''फिर तुम मुझसे अपने उधार पैसे वापस लेने की चिन्ता मत करो।''

संता-, ''मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी बुद्धिमान हो, सुन्दर हो और मीठी बोलने वाली हो।''
बंता, ''लेकिन इतनी महंगाई में तुम तीन पत्नीयों का खर्च कैसे बर्दाश्त करोगे?''

सोनूं, ''मां आज हमारे पड़ोसी ने मुझसे बातें की।''
मां, ''मैंने कहा था न कि अच्छे बच्चों से सभी बातें करते हैं। वैसे क्या कहा उन्होंने?''
सोनू, ''उन्होंने कहा कि फिर हमारे लॉन में आए तो मैं तुम्हारी टांगे तोड़ दूंगा।''

मीनू (मां से), ''मम्मी, आपके सिर में दो सफेद बाल क्यों आ गए हैं?''
मम्मी, ''जो बच्चे अपनी मम्मी को जितना तंग करते हैं, उनकी मम्मी के बाल उतने ही सफेद हो जाते हैं। समझीं?''
मीनूं, ''तभी मैं सोचूं, नानी के सिर के पूरे बाल क्यों सफेद हो गए।''

मां (बेटे से), ''राजू, तुमने पापा की चिट्ठी का जवाब भेज दिया?''
राजू-''नहीं।'
मां, ''क्यों?''
राजू, ''आपने ही तो कहा था कि अपने से बड़ों को कभी भी जवाब नहीं देते।''

बेटा, ''पापा, मुझे मोबाइल चाहिए''
पिता, ''बेटा, मोबाइल जरूरी है या खाना?''
बेटा, ''पापा, मोबाइल जरूरी है।''
पिता, ''वह कैसे?''
बेटा, ''पापा, अगर मोबाइल नहीं होगा तो रेस्टोरेंट से खाना कैसे मंगवाएंगे?''

डॉक्टर (रोगी से), ''तुम इस दुनिया में बस केवल दो-चार घंटे के मेहमान हो। क्या तुम मरने से पहले किसी को देखना चाहते हो?''
रोगी, ''जी हां।''
डॉक्टर, ''किससे?''
रोगी, ''एक अच्छे डॉक्टर से मिलना चाहता हूं।''

संता, ''मेरी पत्नी ने कहा था कि जब आपको छींक आए तो समझना मैंने आपको याद किया है, और आप मेरे पास चले आना।''
बंता, ''तो क्या हुआ? अपनी पत्नी के पास चले जाओ।''
संता, ''लेकिन यार, मेरी पत्नी का तो देहांत हो गया है।''

पति, ''सम्मोहन का अर्थ क्या होता है?''
पत्नी, ''किसी आदमी को अपने प्रभाव में वशीभूत करके उससे मनचाहा काम करा लेने को सम्मोहन कहते हैं।''
पति (हंसते हुए), ''अरे नहीं, उसे तो शादी कहते हैं।''



हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का चमत्कार

Hanumaan Chalisa Evam Bajarang Baan kaa Chamatkar

आज हर व्यक्ति अपने जीवन मे सभी भौतिक सुख साधनो की प्राप्ति के लिये भौतिकता की दौड मे भागते हुए किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। एवं व्यक्ति उस समस्या से ग्रस्त होकर जीवन में हताशा और निराशा में बंध जाता है। व्यक्ति उस समस्या से अति सरलता एवं सहजता से मुक्ति तो चाहता है पर यह सब केसे होगा? उस की उचित जानकारी के अभाव में मुक्त हो नहीं पाते। और उसे अपने जीवन में आगे गतिशील होने के लिए मार्ग प्राप्त नहीं होता। एसे मे सभी प्रकार के दुख एवं कष्टों को दूर करने के लिये अचुक और उत्तम उपाय है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ





हनुमान चालीसा और बजरंग बाण ही क्यु ?



क्योकि वर्तमान युग में श्री हनुमानजी शिवजी के एक एसे अवतार है जो अति शीघ्र प्रसन्न होते है जो अपने भक्तो के समस्त दुखो को हरने मे समर्थ है। श्री हनुमानजी का नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तो के सारे संकट दूर हो जाते हैं। क्योकि इनकी पूजा-अर्चना अति सरल है, इसी कारण श्री हनुमानजी जन साधारण मे अत्यंत लोकप्रिय है। इनके मंदिर देश-विदेश सवत्र स्थित हैं। अतः भक्तों को पहुंचने में अत्याधिक कठिनाई भी नहीं आती है। हनुमानजी को प्रसन्न करना अति सरल है



हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ के माध्यम से साधारण व्यक्ति भी बिना किसी विशेष पूजा अर्चना से अपनी दैनिक दिनचर्या से थोडा सा समय निकाल ले तो उसकी समस्त परेशानी से मुक्ति मिल जाती है।



“यह नातो सुनि सुनाइ बात है ना किसी किताब मे लिखी बात है, यह स्वयं हमारा निजी एवं हमारे साथ जुडे लोगो के अनुभत है।”



उपयोगी जानकारी
हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के नियमित पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए प्रस्तुत हैं कुछ उपयोगी जानकारी ..



• नियमित रोज सुभह स्नान आदिसे निवृत होकर स्वच्छ कपडे पहन कर ही पाठ का प्रारम्भ करे।
• नियमित पाठ में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है।
• हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ करते समय धूप-दीप अवश्य लगाये इस्से चमत्कारी एवं शीघ्र प्रभाव प्राप्त होता है।
• दीप संभव न होतो केवल ३ अगरबत्ती जलाकर ही पाठ करे।
• कुछ विद्वानो के मत से बिना धूप से हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के पाठ प्रभाव हिन होता है।
• यदि संभव हो तो प्रसाद केवल शुद्ध घी का चढाए अन्य था न चढाए
• जहा तक संभव हो हनुमान जी का सिर्फ़ चित्र (फोटो) रखे ।
• यदि घर मे अलग से पूजा घर की व्यवस्था हो तो वास्तुशास्त्र के हिसाब से मूर्ति रखना शुभ होगा। नही तो हनुमान जी का सिर्फ़ चित्र (फोटो) रखे।
• यदि मूर्ति हो तो ज्यद बडी न हो एवं मिट्टी कि बनी नही रखे।
मूर्ति रखना चाहे तो बेहतर है सिर्फ़ किसी धातु या पत्थर की बनी मूर्ति रखे।
• हनुमान जी का फोटो/ मूर्ति पर सुखा सिंदूर लगाना चाहिए।
• नियमित पाठ पूर्ण आस्था, श्रद्धा और सेवा भाव से की जानी चाहिए। उसमे किसी भी तरह की संका या संदेह न रखे।
• सिर्फ़ देव शक्ति की आजमाइस के लिये यह पाठ न करे।
• या किसी को हानि, नुक्सान या कष्ट देने के उद्देश्य से कोइ पूजा पाठ नकरे।
• एसा करने पर देव शक्ति या इश्वरीय शक्ति बुरा प्रभाव डालती है या अपना कोइ प्रभाग नहि दिखाती! एसा हमने प्रत्यक्ष देखा है।
• एसा प्रयोग करने वालो से हमार विनम्र अनुरोध है कृप्या यह पाठ नकरे।
• समस्त देव शक्ति या इश्वरीय शक्ति का प्रयोग केवल शुभ कार्य उद्देश्य की पूर्ति के लिये या जन कल्याण हेतु करे।
• ज्यादातर देखा गया है की १ से अधिक बार पाठ करने के उद्देश्य से समय के अभाव मे जल्द से जल्द पाठ कने मे लोग गलत उच्चारण करते है। जो अन उचित है।
• समय के अभाव हो तो ज्यादा पाठ करने कि अपेक्षा एक ही पठ करे पर पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा से करे।
• पाठ से ग्रहों का अशुभत्व पूर्ण रूप से शांत हो जाता है।
• यदि जीवन मे परेशानीयां और शत्रु घेरे हुए है एवं आगे कोइ रास्ता या उपाय नहीं सुझ रहा तो डरे नही नियमित पाठ करे आपके सारे दुख-परेशानीयां दूर होजायेगी अपनी आस्था एवं विश्वास बनाये रखे।



हनुमान चालीसा और बजरंग बाण

Maa Bhajan Mera jeevan teri sharan Main By Jagjit Singh

मां भजन: मैरा जीवन तेरी शरण मैं- जगजित सिंघ, માં ભજન: મૈરા જીવન તેરી શરણ મૈં- જગજિત સિંઘ, ಮಾಂ ಭಜನ: ಮೈರಾ ಜೀವನ ತೇರೀ ಶರಣ ಮೈಂ- ಜಗಜಿತ ಸಿಂಘ, மாம் பஜந: மைரா ஜீவந தேரீ ஶரண மைம்- ஜகஜித ஸிம்க, మాం భజన: మైరా జీవన తేరీ శరణ మైం- జగజిత సింఘ, മാം ഭജന: മൈരാ ജീവന തേരീ ശരണ മൈം- ജഗജിത സിംഘ, ਮਾਂ ਭਜਨ: ਮੈਰਾ ਜੀਵਨ ਤੇਰੀ ਸ਼ਰਣ ਮੈਂ- ਜਗਜਿਤ ਸਿਂਘ, মাং ভজন: মৈরা জীৱন তেরী শরণ মৈং- জগজিত সিংঘ, ମାଂ ଭଜନ: ମୈରା ଜୀଵନ ତେରୀ ଶରଣ ମୈଂ- ଜଗଜିତ ସିଂଘ,
Jagjit Singh - Mera jeevan teri sharan!
A nice chent sung by Jagjit singh.



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Beautiful Awesome Hanuman Chalisa Video

beautiful Awesome Hanuman Chalisa ( Great Version with True Devotion ) (Must See) with lyrics हनुमान चालीसा (ग्रेट संस्करण सच भक्ति के साथ) गीत के साथ (अवश्य देखें)

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This video is dedicated to Lord Hanuman, beloved devotee of Lord Rama, The Supersoul..............Jai Shri Hanuman, Jai Shree Rama...................



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Friday, May 20, 2011

ज्ञान मुद्रा

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ज्ञान मुद्रा

अंगूठे और तर्जनी (पहली उंगली) के पोरों को आपस में (बिना जोर लगाये सहज रूप में) जोड़ने पर ज्ञान मुद्रा बनती है.

लाभ :-
इस मुद्रा के नित्य अभ्यास से स्मरण शक्ति का अभूतपूर्व विकाश होता है.मष्तिष्क की दुर्बलता समाप्त हो जाती है.साधना में मन लगता है.ध्यान एकाग्रचित होता है.इस मुद्रा के साथ यदि मंत्र का जाप किया जाय तो वह सिद्ध होता है. किसी भी धर्म/पंथ के अनुयायी क्यों न हों, उपासना काल में यदि इस मुद्रा को करें और अपने इष्ट में ध्यान एकाग्रचित्त करें तो, मन में बीज रूप में स्थित प्रेम की अन्तःसलिला का अजश्र श्रोत स्वतः प्रस्फुटित हो प्रवाहित होने लगता है और परमानन्द की प्राप्ति होती है. इसी मुद्रा के साथ तो ऋषियों मनीषियों तपस्वियों ने परम ज्ञान को प्राप्त किया था॥

पागलपन, अनेक प्रकार के मनोरोग, चिडचिडापन, क्रोध, चंचलता, लम्पटता, अस्थिरता, चिंता, भय, घबराहट, व्याकुलता, अनिद्रा रोग, डिप्रेशन जैसे अनेक मन मस्तिष्क सम्बन्धी व्याधियां इसके नियमित अभ्यास से निश्चित ही समाप्त हो जाती हैं. मानसिक क्षमता बढ़ने वाला तथा सतोगुण का विकास करने वाला यह अचूक साधन है. विद्यार्थियों, बुद्धिजीवियों से लेकर प्रत्येक आयुवर्ग के स्त्री पुरुषों को अपने आत्मिक मानसिक विकास के लिए मुद्राओं का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए...

हस्त मुद्रा

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हस्त मुद्रा


जैसा कि हम जानते सुनते आये हैं, कि मानव शरीर -क्षिति जल पावक गगन समीरा(पृथ्वी,जल,अग्नि,आकाश तथा वायु) पंचतत्व से निर्मित है..साधारनतया आहार विहार का असंतुलन इन पंचतत्वों के संतुलन को विखण्डित करता है और फलस्वरूप मनुष्य शरीर भांति भांति के रोगों से ग्रसित हो जाता है..

यूँ तो नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार विहार सहज स्वाभाविक रूप से काया को निरोगी रखने में समर्थ हैं , पर वर्तमान के द्रुतगामी व्यस्ततम समय में कुछ तो आलस्यवश और कुछ व्यस्तता वश नियमित योग सबके द्वारा संभव नहीं हो पाता.. परन्तु योग में कुछ ऐसे साधन हैं जिनमे न ही अधिक श्रम की आवश्यकता है और न ही अतिरिक्त समय की. इसे " मुद्रा चिकित्सा " कहते हैं...विभिन्न हस्तमुद्राओं से अनेक व्याधियों से मुक्ति संभव है...

योग में आसन प्राणायाम, मुद्रा, बंध अनेक विभाग बनाए गए हैं। इसमे हस्त मुद्राओं का बहुत ही खास स्थान है। मुद्रा जितनी भी प्रकार की होती है उन्हे करने के लिए हाथों की सिर्फ 10 ही उंगलियों का उपयोग होता है। उंगलियों से बनने वाली मुद्राओं में रोगों को दूर करने का राज छिपा हुआ है। हाथों की सारी उंगलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं। मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग के इस ग्रंथ को महार्षि घेरण्ड ने लिखा था। इस ग्रंथ में योग के देवता भोले शंकर ने माता पार्वती से कहा है कि हे देवी, मैने तुम्हे मुद्राओं के बारें में ज्ञान दिया है सिर्फ इतने से ही ज्ञान से सारी सिद्धियां प्राप्त होती है।

मानव शरीर के बारे में एक बात हर कोई जानता है कि हमारा शरीर आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के मिश्रण से बना हुआ है और हाथों की पांचों उंगलियों में से अलग-अलग तत्व मौजूद है जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी उंगली में वायु तत्व, मध्यमा उंगली में आकाश तत्व और अनामिका उंगली में पृथ्वी और कनिष्का उंगली में जल तत्व मौजूद है।

जिस तरह इस संसार में धन वाली मुद्रा का बहुत ही खास महत्व है, ऐसे ही उंगलियों को एक दूसरे से छूते हुए किसी खास स्थिति में इनकी जो आकृति बनती है, उसे मुद्रा कहते हैं। मुद्रा के द्वारा अनेक रोगों को दूर किया जा सकता है। उंगलियों के पांचों वर्ग पंचतत्वों के बारें में बताते हैं। जिससे अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिये मुद्रा विज्ञान में जब उंगलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब विद्युत बहकर होकर शरीर में समाहित शक्ति जाग उठती है और हमारा शरीर निरोगी होने लगता है।

योग विज्ञान में मुद्राओं के द्वारा बहुत से लाभों के बारें मे बताया गया है जैसे- शरीर से सारे रोग समाप्त हो जाते है, मन में अच्छे विचार पैदा होते है आदि। जो व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाल, निरोग और स्वस्थ बनाना चाहता है उनको अपनी जरूरत के मुताबिक मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए। मुद्राओं को बच्चों से लेकर बूढ़े सभी कर सकते हैं। हस्त मुद्रा तुरंत ही अपना असर दिखाना चालू कर देती है। जिस हाथ से ये मुद्राएं बनाते है, शरीर के उल्टे हिस्से में उनका प्रभाव तुरंत ही नज़र आना शुरू हो जाता है। इन मुद्राओं को करते समय वज्रासन, पदमासन या सुखासन आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। इन मुद्राओं को रोजाना 30 से 45 मिनट तक करना लाभकारी होता है। इन मुद्राओं को अगर एक बार करने में परेशानी आए तो 2-3 बार में भी करके पूरा लाभ पाया जा सकता है। किसी भी मुद्रा को करते समय हाथ की जिस उंगली का मुद्रा बनाने में कोई उपयोग ना हो उसे बिल्कुल सीधा ही रखना चाहिए। एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जिस हाथ से मुद्रा की जाती है उसका प्रभाव उसके बाईं ओर के अंगों पर पड़ता है।


हमारे हाथ की पाँचों अंगुलियाँ वस्तुतः पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं.यथा-



१.अंगूठा= अग्नि,

२.तर्जनी (अंगूठे के बाद वाली पहली अंगुली ) = वायु,

३.मध्यमा (अंगूठे से दूसरी अंगुली) = आकाश,

४.अनामिका (अंगूठे से तीसरी अंगुली) = पृथ्वी,

५. कनिष्ठिका ( अंगूठे से चौथी अंतिम सबसे छोटी अंगुली ) = जल ..

शरीर में पंचतत्व इस प्रकार से है...शरीर में जो ठोस है,वह पृथ्वी तत्व ,जो तरल या द्रव्य है वह जल तत्व,जो ऊष्मा है वह अग्नि तत्व,जो प्रवाहित होता है वह वायु तत्व और समस्त क्षिद्र आकाश तत्व है.

अँगुलियों को एक दुसरे से स्पर्श करते हुए स्थिति विशेष में इनकी जो आकृति बनती है,उसे मुद्रा कहते हैं...मुद्रा चिकित्सा में विभिन्न मुद्राओं द्वारा असाध्यतम रोगों से भी मुक्ति संभव है...वस्तुतः भिन्न तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हाथ की इन अँगुलियों से विद्युत प्रवाह निकलते हैं.अँगुलियों से निकलने वाले विद्युत प्रवाहों के परस्पर संपर्क से शरीर के चक्र तथा सुसुप्त शक्तियां जागृत हो शरीर के स्वाभाविक रोग प्रतिरोधक क्षमता को आश्चर्यजनक रूप से उदीप्त तथा परिपुष्ट करती है. पंचतत्वों का संतुलन सहज स्वाभाविक रूप से शरीर को रोगमुक्त करती है.रोगविशेष के लिए निर्देशित मुद्राओं को तबतक करते रहना चाहिए जबतक कि उक्त रोग से मुक्ति न मिल जाए...रोगमुक्त होने पर उस मुद्रा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. मुद्राओं से केवल काया ही निरोगी नहीं होती, बल्कि आत्मोत्थान भी होता है. क्योंकि मुद्राएँ शूक्ष्म शारीरिक स्तर पर कार्य करती है.


प्रचलित हस्त मुद्रा : 1.ज्ञान मुद्रा, 2.पृथिवि मुद्रा, 3.वरुण मुद्रा, 4.वायु मुद्रा, 5.शून्य मुद्रा, 6.सूर्य मुद्रा, 7.प्राण मुद्रा, 8.लिंग मुद्रा, 9.अपान मुद्रा और 10.अपान वायु मुद्रा।

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