Star Masti Group

Please Visit Our Web Site
.
GURUTVA JYOTISH
A Part of  GURUTVA KARYALAY
Monthly Astrology Magazines
.
You Can Read In Monthly Rashi Phal, Panchang, Festivle Deatail, Auspicious Yog, Astrology, Numerology, Vastu, Mantra, Yantra, Tantra, Easy Remedy Etc, Related Article,
Non Profitable Publication  by Public Intrest Call us : 91+9338213418, 91+9238328785
Ad By : SWASTIK SOFTECH INDIA
GURUTVA JYOTISH
Monthly Astrology Magazines
New
New
New
A Part of  GURUTVA KARYALAY
Non Profitable Publication by Public Intrest
Call: 91+9338213418, 91+9238328785

Tuesday, October 25, 2011

दीपावली पूजन मुहूर्त (26-अक्तूबर-2011)

deepawali 2011, 26 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  deepawali 2011, Lakshmi Puja on deepavali 2011, Laxmi poojaa diwali date 2011, Deepawali- Festival of Light Festival History and Information od Dipawali, Deepawali, auspicious timings for Hindu festival Diwali, diwali celebrations, deepavali puja, deepawali pujan, deepavali, deewali, deepawali, diwali, divali, dipawali, deepavali 2011, festival of lights, diwali festival days, diwali five days festival, diwali festival days, diwali india, dhanteras, choti diwali, lakshmi puja, lakshmi puja on diwali, padwa, govardhan puja, Bhai Duj, bhai dooj, Diwali celebrations, Goverdhan Pooja, Bhratri Dooj, diwali 2011, diwali gifts, diwali india, diwali festival celebration, Get the information on five days of diwali, लक्ष्मी पूजन, लक्ष्मी पूजा, दिपावली शुभ मुहूर्त, दीपावली शुभ महूरत, दिवाली की पूजा, दिपावली पर दीपदानलक्ष्मी पुजन, लक्ष्मी पुजा, दिपावली, दीपावली, दीपावलि, दिपावलि, दिवाली, दीवाली, दिवालि, दीवालि, दिबाली, दीपाबली, લક્ષ્મી પૂજન, લક્ષ્મી પૂજા, દિપાવલી શુભ મુહૂર્ત, દીપાવલી શુભ મહૂરત, દિવાલી કી પૂજા, દિપાવલી પર દીપદાનલક્ષ્મી પુજન, લક્ષ્મી પુજા, દિપાવલી, દીપાવલી, દીપાવલિ, દિપાવલિ, દિવાલી, દીવાલી, દિવાલિ, દીવાલિ, દિબાલી, દીપાબલી, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪೂಜಾ, ದಿಪಾವಲೀ ಶುಭ ಮುಹೂರ್ತ, ದೀಪಾವಲೀ ಶುಭ ಮಹೂರತ, ದಿವಾಲೀ ಕೀ ಪೂಜಾ, ದಿಪಾವಲೀ ಪರ ದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪುಜಾ, ದಿಪಾವಲೀ, ದೀಪಾವಲೀ, ದೀಪಾವಲಿ, ದಿಪಾವಲಿ, ದಿವಾಲೀ, ದೀವಾಲೀ, ದಿವಾಲಿ, ದೀವಾಲಿ, ದಿಬಾಲೀ, ದೀಪಾಬಲೀ, லக்ஷ்மீ பூஜந, லக்ஷ்மீ பூஜா, திபாவலீ ுப முஹூர்த, தீபாவலீ ுப மஹூரத, திவாலீ கீ பூஜா, திபாவலீ பர தீபதாநலக்ஷ்மீ புஜந, லக்ஷ்மீ புஜா, திபாவலீ, தீபாவலீ, தீபாவலி, திபாவலி, திவாலீ, தீவாலீ, திவாலி, தீவாலி, திபாலீ, தீபாபலீ, లక్ష్మీ పూజన, లక్ష్మీ పూజా, దిపావలీ శుభ ముహూర్త, దీపావలీ శుభ మహూరత, దివాలీ కీ పూజా, దిపావలీ పర దీపదానలక్ష్మీ పుజన, లక్ష్మీ పుజా, దిపావలీ, దీపావలీ, దీపావలి, దిపావలి, దివాలీ, దీవాలీ, దివాలి, దీవాలి, దిబాలీ, దీపాబలీ, ലക്ഷ്മീ പൂജന, ലക്ഷ്മീ പൂജാ, ദിപാവലീ ശുഭ മുഹൂര്ത, ദീപാവലീ ശുഭ മഹൂരത, ദിവാലീ കീ പൂജാ, ദിപാവലീ പര ദീപദാനലക്ഷ്മീ പുജന, ലക്ഷ്മീ പുജാ, ദിപാവലീ, ദീപാവലീ, ദീപാവലി, ദിപാവലി, ദിവാലീ, ദീവാലീ, ദിവാലി, ദീവാലി, ദിബാലീ, ദീപാബലീ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੂਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀ ਸ਼ੁਭ ਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਦੀਪਾਵਲੀ ਸ਼ੁਭ ਮਹੂਰਤ, ਦਿਵਾਲੀ ਕੀ ਪੂਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀ ਪਰ ਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੁਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀ, ਦੀਪਾਵਲੀ, ਦੀਪਾਵਲਿ, ਦਿਪਾਵਲਿ, ਦਿਵਾਲੀ, ਦੀਵਾਲੀ, ਦਿਵਾਲਿ, ਦੀਵਾਲਿ, ਦਿਬਾਲੀ, ਦੀਪਾਬਲੀ, লক্ষ্মী পূজন, লক্ষ্মী পূজা, দিপাৱলী শুভ মুহূর্ত, দীপাৱলী শুভ মহূরত, দিৱালী কী পূজা, দিপাৱলী পর দীপদানলক্ষ্মী পুজন, লক্ষ্মী পুজা, দিপাৱলী, দীপাৱলী, দীপাৱলি, দিপাৱলি, দিৱালী, দীৱালী, দিৱালি, দীৱালি, দিবালী, দীপাবলী, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୂଜା, ଦିପାଵଲୀ ଶୁଭ ମୁହୂର୍ତ, ଦୀପାବଲୀ ଶୁଭ ମହୂରତ, ଦିବାଲୀ କୀ ପୂଜା, ଦିପାବଲୀ ପର ଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୁଜା, ଦିପାବଲୀ, ଦୀପାବଲୀ, ଦୀପାବଲି, ଦିପାଵଲି, ଦିଵାଲୀ, ଦୀବାଲୀ, ଦିବାଲି, ଦୀଵାଲି, ଦିବାଲୀ, ଦୀପାବଲୀ,
दीपावली पूजन मुहूर्त (26-अक्तूबर-2011)
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर-2011)

मां लक्ष्मी कि कृपा प्राप्त करने हेतु एवं उनका स्थायी निवास हो सके इस उद्देश्य से घर-दुकान-व्यवसायिक कार्यालय में दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन हेतु दिन के सबसे शुभ मुहूर्त को लिया जाता हैं. इस वर्ष दीपावली का पर्व बुधवार , 26 अक्तूबर, 2011 में कार्तिक मास कि अमावस्या, चित्रा एवं स्वाति नक्षत्र में, प्रीती योग में मनाया जायेगा. दीपावली के दिन अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न चौघा़डिया मुहूर्त विशेष का अत्याधिक महत्व होता हैंGURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
26 अक्तूबर, 2011 के दिन सूर्योदयी नक्षत्र चित्रा, लेकिन रात्री 09:43:33 बजे बाद स्वाती नक्षत्र रहेगा, इस दिन सूर्योदयी योग विष्कुंभ संध्या 06:29:37 बजे बाद प्रीति योग रहेगा। सूर्योदयी करण चतुष्पाद दोपहर 03:19:36 बजे पश्चयात नाग करण रहेगा। सूर्योदय के समय चन्द्रमा कन्या राशि में दोपहर 11:16:00 बजे तुला राशि में भ्रमण करेगा। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
प्रदोष काल 2 घण्टे एवं 24 मिनट का होता हैं। अपने शहर के सूर्यास्त समय अवधि से लेकर अगले 2 घण्टे 24 मिनट कि समय अवधि को प्रदोष काल माना जाता हैं। अलग- अलग शहरों में प्रदोष काल के निर्धारण का आधार सूर्योस्त समय के अनुशार निर्धारीत करना चाहिये।
दीपावली प्रदोष काल मुहूर्त अपने शहर के सूर्यास्त समय से 2 घन्टे 24 मिनट तक का समय शुभ मुहूर्त समय के लिये प्रयोग किया जाता हैं. इसे प्रदोष काल समय कहा जाता हैं। इस वर्ष 26 अक्तूबर, 2011 (दीपावली) को भारतीय समय अनुशार नई दिल्ली में सूर्यास्त संध्या 05 बज कर 42 मिनिट पर होगा। संध्या  05 बज कर 42 मिनिट से आरम्भ होकर रात के 08 बजकर 06 मिनट तक का समय प्रदोष काल रहेगा। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
26 अक्तूबर, 2011 को प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न (वृषभ राशि) हो रहा हैं, स्थिर लग्न का समय सबसे उतम माना जाता हैं। दिपावली के दिन प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों का संयोग संध्या 06:46:37 बजे से लेकर रात्री 08:42:04 बजे तक का समय रहेगा। प्रदोष काल के दौरान संध्या 07:20 बजे से 08:58 बजे तक शुभ चौघडिया होने से मुहुर्त की शुभता में वृद्धि होती हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
जिसमें विशेष रूप से श्री गणेशपूजन, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान एवं ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011 .
दीपावली चौघडियां मुहूर्त
दीपावली चौघ़डिया मुहूर्त समय ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त दीपावाली के दिन
·         लाभ मुहूर्त सुबह में 6:13:50 से 7:40:53 तक
·         अमृत मुहूर्त सुबह में 7:40:53 से 09:07:57 तक
·         शुभ मुहूर्त दोपहर में ……………..>>
·         चर मुहूर्त दोपहर में 02:56:12 से 04:23:16 तक
·         लाभ मुहूर्त दोपहर में ……………..>>
·         शुभ मुहूर्त संध्या में 07:23:16  से 08:56:12 तक
·         शुभ मुहूर्त संध्या में 07:23:16  से 08:56:12 तक
·         अमृत मुहूर्त रात में ……………..>>
·         चर मुहूर्त रात में 10:29:08 से रात 12:02:04 तक
नोट: उपरोक्त वर्णित सूर्यास्त का समय निरधारण नई दिल्ली के अक्षांश रेखांश के अनुशार आधुनिक पद्धति से किया गया हैं। इस विषय में विभिन्न मत एवं सूर्यास्त ज्ञात करने का तरीका भिन्न होने के कारण सूर्यास्त समय का निरधारण भिन्न हो सकता हैं। सूर्यास्त समय का निरधारण स्थानिय सूर्यास्त के अनुशार हि करना उचित होगा।

संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका अक्टूबर -2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर -2011)
OCT-2011



पाठको की पसंद

Monday, October 24, 2011

धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों होता हैं?

धनतेरस, धन त्रयोदशी, Why offering Ymdeepdan on Dntryodshi?, धनतेरस लक्ष्मी पूजन, लक्ष्मी पूजा, धनत्रयोदशीधनवंतरि, धनतेरस के शुभ मुहूर्त, धनतेरस शुभ महूरत, धनतेरस की पूजा, धनतेरस पर दीपदानलक्ष्मी पुजन, लक्ष्मी पुजा, ધનતેરસ, ધન ત્રયોદશી, ધનતેરસ લક્ષ્મી પૂજન, લક્ષ્મી પૂજા, ધનત્રયોદશીધનવંતરિ, ધનતેરસ કે શુભ મુહૂર્ત, ધનતેરસ શુભ મહૂરત, ધનતેરસ કી પૂજા, ધનતેરસ પર દીપદાનલક્ષ્મી પુજન, લક્ષ્મી પુજા, ಧನತೇರಸ, ಧನ ತ್ರಯೋದಶೀ, ಧನತೇರಸ ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪೂಜಾ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀಧನವಂತರಿ, ಧನತೇರಸ ಕೇ ಶುಭ ಮುಹೂರ್ತ, ಧನತೇರಸ ಶುಭ ಮಹೂರತ, ಧನತೇರಸ ಕೀ ಪೂಜಾ, ಧನತೇರಸ ಪರ ದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪುಜಾ, தநதேரஸ, தந த்ரயோதஶீ, தநதேரஸ லக்ஷ்மீ பூஜந, லக்ஷ்மீ பூஜா, தநத்ரயோதஶீதநவம்தரி, தநதேரஸ கே ஶுப முஹூர்த, தநதேரஸ ஶுப மஹூரத, தநதேரஸ கீ பூஜா, தநதேரஸ பர தீபதாநலக்ஷ்மீ புஜந, லக்ஷ்மீ புஜா, ధనతేరస, ధన త్రయోదశీ, ధనతేరస లక్ష్మీ పూజన, లక్ష్మీ పూజా, ధనత్రయోదశీధనవంతరి, ధనతేరస కే శుభ ముహూర్త, ధనతేరస శుభ మహూరత, ధనతేరస కీ పూజా, ధనతేరస పర దీపదానలక్ష్మీ పుజన, లక్ష్మీ పుజా, ധനതേരസ, ധന ത്രയോദശീ, ധനതേരസ ലക്ഷ്മീ പൂജന, ലക്ഷ്മീ പൂജാ, ധനത്രയോദശീധനവംതരി, ധനതേരസ കേ ശുഭ മുഹൂര്ത, ധനതേരസ ശുഭ മഹൂരത, ധനതേരസ കീ പൂജാ, ധനതേരസ പര ദീപദാനലക്ഷ്മീ പുജന, ലക്ഷ്മീ പുജാ, ਧਨਤੇਰਸ, ਧਨ ਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀ, ਧਨਤੇਰਸ ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੂਜਾ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀਧਨਵਂਤਰਿ, ਧਨਤੇਰਸ ਕੇ ਸ਼ੁਭ ਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਧਨਤੇਰਸ ਸ਼ੁਭ ਮਹੂਰਤ, ਧਨਤੇਰਸ ਕੀ ਪੂਜਾ, ਧਨਤੇਰਸ ਪਰ ਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪੁਜਾ,ধনতেরস, ধন ত্রযোদশী, ধনতেরস লক্ষ্মী পূজন, লক্ষ্মী পূজা, ধনত্রযোদশীধনৱংতরি, ধনতেরস কে শুভ মুহূর্ত, ধনতেরস শুভ মহূরত, ধনতেরস কী পূজা, ধনতেরস পর দীপদানলক্ষ্মী পুজন, লক্ষ্মী পুজা, ଧନତେରସ, ଧନ ତ୍ରଯୋଦଶୀ, ଧନତେରସ ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୂଜା, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀଧନବଂତରି, ଧନତେରସ କେ ଶୁଭ ମୁହୂର୍ତ, ଧନତେରସ ଶୁଭ ମହୂରତ, ଧନତେରସ କୀ ପୂଜା, ଧନତେରସ ପର ଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପୁଜା, Dhanteras 2011, 24 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  Dhanteras 2011, dhanteras celebrations, dhanteras diwali, dhanteras puja, dhanteras pujan, Lakshmi Puja, Laxmi poojaa, Dhanteras - Festival of Wealth, Festival History and Information, Dhanwantari Trayodashi, auspicious timings for Hindu festival Dhanteras, 
धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों किया जाता हैं?
शास्त्रोंक्त मत के अनुशार धनत्रयोदशी के किये जाने वाले कर्मो में यमदीपदान को विशेष प्रमुखता दी जाती हैं। लेकिन  धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों किया जाता हैं इस के पीछे छुपी धार्मिक मान्यता से कम लोग ही परीचित होंगे!
हिन्दू धर्म में किये जाने वाली प्रत्येक व्रत-तयोहार, उत्सव, पूजन विधि-विधान, इत्यादि के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी होती हैं । इसी प्रकार धनत्रयोदशी पर यमदीपदान करना भी इसी प्रकार पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ हैं। स्कन्दपुराण में वैष्णवखण्ड के अन्तर्गत कार्तिक मास महात्म्य में इससे सम्बन्धित पौराणिक कथा का संक्षिप्त उल्लेख किया गया हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
पौराणिक कथा के अनुशार एक बार यमदूत बालकों एवं युवाओं के प्राण हरते समय परेशान हो उठे। यमदूत को बड़ा दुःख हुआ कि वे बालकों एवं युवाओं के प्राण हरने का कार्य करते हैं, परन्तु यमदूत करते भी क्या? उनका कार्य ही प्राण हरना ही हैं। यमदूत अपने कर्तव्य से वे कैसे विमुख होते? GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
 यमदूत के लिए एक और कर्तव्यनिष्ठा का प्रश्न था, दुसरी ओर जिन बालक एवं युवाओं का प्राण हरकर लाते थे, उनके परिजनों ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदूत के मुख से इतना सुनकर धर्मराज बोले दूतगण तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया हैं। इससे मृत्यु लोकवासियों का कल्याण होगा। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रतिवर्ष प्रदोषकाल में जो अपने घर के दरवाजे पर निम्नलिखित मन्त्र से उत्तम दीप देता हैं, वह अपमृत्यु होने पर भी यहॉं ले आने के योग्य नहीं है। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
मृत्युना पाश्दण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥
उसके बाद से ही अपमृत्यु अर्थात् असामयिक मृत्यु से बचने के उपाय के रूप में धनत्रयोदशी पर यम के निमित्त दीपदान एवं नैवेद्य समर्पित करने का कर्म प्रतिवर्ष किया जाता हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमराज की सभा: यमराज की सभा का वर्णन करते हुए ग्रंथ कारों ने लिखा हैं कि देवलोक की चार प्रमुख सभाओं में से एक है यमसभा इस सभा का निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था। यमसभा अत्यन्त विशाल सभा है, इसकी 100 योजन लम्बाई एवं 100 योजन चौड़ाई है। ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमसभा में अनेक राजा, ऋर्षि और ब्रह्मर्षि यमदेव की उपासना करते रहते हैं। ययाति, नहुश, पुरु, कार्तवीर्य, अरिष्टनेमी, कृति, निमि, मान्धाता, प्रतर्दन, शिवि आदि राजा मृत्यु के उरान्त यहां बैठकर धर्मराज की उपासना करते हैं। कठोर तपस्या करने वाले, उत्तम व्रत का पालन करने वाले सत्यवादी, शान्त, संन्यासी तथा अपने पुण्यकर्म से शुध्द एवं पवित्र महापुरुषों का ही यमसभा में प्रवेश होता हैं। GURUTVA ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका अक्टूबर -2011 का अंक पढें
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर -2011)
OCT-2011


पाठको की पसंद

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...