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Wednesday, April 27, 2011

औषधि एक फायदे अनेक भाग: 3 (गिलोय-teenosporal)

One Giloy multiple benefits Teenosporal
गिलोय (अंग्रेज़ी:टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते कि तरह होते हैं। आयुर्वेद मे इसको कई नामो से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा,चक्रांगी, आदि।[]'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है ' आर्युवेद साहित्य में इसे ज्वर की महान् औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है ।गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतया कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है नीम आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं

बेल के काण्ड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर वर्ण की होती है, जिसे हटा देने पर भीतर का हरित मांसल भाग दिखाई देने लगता है काटने पर अन्तर्भाग चक्राकार दिखाई पड़ताहै ।पत्ते हृदय के आकार के, खाने के पान जैसे एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं ये लगभग 2 से 4 इंच तक व्यास के होते हैं स्निग्ध होते हैं तथा इनमें 7 से 9 नाड़ियाँ होती हैं पत्र-डण्ठल लगभग 1 से 3 इंच लंबा होता है फूल ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे पीले रंग के गुच्छों में आते हैं फल भी गुच्छों में ही लगते हैं तथा छोटे मटर के आकार के होते हैं पकने पर ये रक्त के समान लाल हो जाते हैं बीज सफेद, चिकने, कुछ टेढ़े, मिर्च के दानों के समान होते हैं उपयोगी अंग काण्ड है पत्ते भी प्रयुक्त होते हैं

ताजे काण्ड की छाल हरे रंग की तथा गूदेदार होती हैं उसकी बाहरी त्वचा हल्के भूरे रंग की होती है, पतली कागज की पत्तों के रूप में छूटती है स्थान-स्थान पर गांठ के समान उभार पाए जाते हैं सूखने पर यही काण्ड पतला हो जाता है सूखे काण्ड के छोटे-बड़े टुकड़े बाजार में पाए जाते हैं, जो बेलनाकार लगभग 1 इंच व्यास के होते हैं इन पर से छाल काष्ठीय भाग से आसानी से पृथक् की जा सकती है स्वाद में यह तीखी होती है, पर गंध कोई विशेष नहीं होती पहचान के लिए एक साधारण-सा परीक्षण यह है कि इसके क्वाथ में जब आयोडीन का घोल डाला जाता है तो गहरा नीला रंग हो जाता है यह इसमें स्टार्च की उपस्थिति का परिचायक है सामान्यतया इसमें मिलावट कम ही होती है, पर सही पहचान अनिवार्य है कन्द गुडूची एक असामी प्रजाति इसकी अन्य जातियों की औषधियाँ हैं, जिनके गुण अलग-अलग होते हैं

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