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Sunday, March 27, 2011

फल एक फायदे अनेक भाग:3 (केला-Banana)

One Fruit multiple benefits Part: 3 (Banana) ,


मूसा जाति के घासदार पौधे और उनके द्वारा उत्पादित फल को आम तौर पर केला कहा जाता है. मूल रूप से ये दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णदेशीय क्षेत्र के हैं और संभवतः पपुआ न्यू गिनी में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था. आज कम से कम 107 देशों में केलों की उपज होती है

केले के फल लटकते गुच्छों में ही बड़े होते है, जिनमें 20 फलों तक की एक पंक्ति होती है (जिसे हाथ भी कहा जाता है), और एक गुच्छे में 3-20 केलों की पंकती होती है.  केलों के लटकते हुए सम्पूर्ण समूह को गुच्छा कहा जाता है, या व्यावसायिक रूप से इसे "बनाना स्टेम" कहा जाता है, और इसका वजन 30-50 किलो होता है. एक फल औसतन 125 ग्राम का होता है, जिसमें लगभग 75% पानी और 25% सूखी सामग्री होती है. प्रत्येक फल (केला या 'उंगली' के रूप में ज्ञात) में एक सुरक्षात्मक बाहरी परत होती है (छिलका या त्वचा) जिसके भीतर एक मांसल खाद्य भाग होता है. केले को काट कर और सुखा कर चिप्स के रूप में भी खाया जाता है. सूखे हुए केले को पीस कर केले का आटा भी बनाया जाता है.


पकने के बाद केले कई आकारों और रंगों में परिवर्तित हो जाते हैं जैसे पीला, बैंगनी और लाल. वैसे तो कच्चे केले भी खाए जा सकते हैं, लेकिन कुछ किस्मों को आम तौर पर पहले पकाया जाता है. कृषिजोपजाति और परिपक्वता के आधार पर केले का स्वाद कड़वा या मीठा होता है, और उसकी बनावट कठोर से पिलपिला होती है. कच्चे या हरे केले और प्लानटेंस का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में एक घटक के रूप में किया जाता है,  केले का रस काफी चिपचिपा होता है और इसका इस्तेमाल व्यावहारिक तौर पर गोंद के रूप में किया जा सकता है. छद्मतना, फल के छिलके, या फल के मांस से इस गोंद को प्राप्त किया जा सकता है.


स्थानीय बिक्री के लिए अधिकांश उत्पादन हरे पकाऊ केले और प्लानटेन का होता है, चूंकि पके मीठे केले, बाज़ार तक लाए जाने में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. यहां तक कि उत्पादित देश में ही जब उन्हें स्थानांतरित किया जाता है तो उस क्रम में भी केलों को बहुत ज्यादा क्षति और नुकसान से गुज़रना पड़ता है

केले की कम से कम तीन सौ से अधिक किस्में पाई जाती हैं जो स्वाद में भी अंतर लिए होती हैं. केला तीन रुप में लगने वाला फल है जिसके फूल, पत्ते और तना सभी उपयोग में लाए जाते हैं. केले से स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं केले के फूल एवं तना भी तरकारी(सब्जी) बनाने मे उपयोग किए जाते हैं.

केले के फ़ायदे
  • केले का व्यजन में उपयोग केले से विभिन्न तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं कच्चा केला एवं पका केला दोनो ही सब्जी में उपयोग किए जाते हैं
  • केले में टमाटर, जीरे, लाल मिर्च, नमक, का छोंक लगा कर स्वादिष्ट सब्जी तैयार की जा सकती है.
  • केले की चटनी और इसके साथ ही केले के चिप्स भी बहुत चाव के साथ खाए जाते हैं.
  • केरल, बंगाल में केले के फूल को सूप और तरी में उपयोग किया जाता है.
  • केले से कई प्रकार की मिठाईयां बनाई जाती हैं
  • केले को पैन केक बनाने में इस्तेमाल किया जाता है
  • केले से आईसक्रीम बनाई जाती है.
  • केले को दूध में डाल कर बनाना शेक तैयार कर सकते हैं गर्मी के मौसम मे ठंडा बनाना शेक खूब पिया जाता है.
  • केले के पत्ते केले के पत्तों से भोजन पात्र का निर्माण किया जाता है दक्षिण भारत में केले के पत्तों से बनाई गई थाली का बहुत इस्तेमाल देखा जा सकता है वहां होने वाली शादियों या होटलों में अक्सर केले के पत्तों पर ही व्यंजन परोसे जाते हैं.
  • इसी तरह अनेक रीति रिवाज़ों में केले एवं केले के पत्तों का उपयोग किया जाता है जो शुद्धता का प्रतीक माना जाता है.
  • केला स्वास्थ्य वर्धक केला शक्तिवर्धक तत्वों प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थों से भरा है.
  • केला पाचन योग्य़ खाने में मधुर और शीतल तासीर का है यह कफ, पित्त, रक्तविकार तथा गर्मी के रोगों का दूर करने वाला है.
  • ऐसिडिटी को कम करता है अल्सर के दर्द में लाभकारी है
  • यह अतिसार और कब्ज़ दोनों में लाभकारी है
  • केला और दूध का मिश्रण शरीर और स्वास्थ्य के लिए उत्तम आहार है.
  • केले में कैल्शियम की मात्रा होने से यह हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए अच्छा माना जाता है।
  • जो लोग बहुत पतले दुबले होते हैं, उन्हें दो केले 250 ग्राम दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए। इससे उनका स्वास्थ्य भी ठीक होता है और वजन भी बढ़ता है।
  • गैस्ट्रीक होने पर, अल्सर होने पर या मन्दाग्नि होने पर नियमित केले का सेवन करने से शरीर को फ़ायदा होता है।
  • केले में लौह तत्त्व की प्रचुर मात्रा होती है जो रक्त निर्माण में सहायक होती हैं।
  • जिन लोगों के शरीर में रक्त की कमी होती है उन्हें केला नियमित रूप से खाना चाहिए।
  • केला खून में वृद्धि करके शरीर की ताकत बढ़ाने में सहायक है।
  • यदि प्रतिदिन केला खाकर दूध पिया जाए, तो कुछ ही दिनों में व्यक्ति तंदुरूस्त हो जाता है।
  • भूखे पेट केला नहीं खाना चाहिये।
  • भोजन के बाद केला खाने से ताक़त देता है।
  • रात को केला खाने से गैस पैदा होती है।
  • केला सब तरह की सूजन में हितकारी है।
  • दो केले १५ग्राम शहद में मिलाकर खाने से ह्रदय के दर्द में लाभ होता है। गैस्ट्रिक
  • केले के तने का रस पिलाने से पेट में पहुँचा विष नष्ट हो जाता है।


    प्रतिदिन दो केले खाने से सभी प्रकार के विटामिनों की पूर्ति हो जाती है। सुबह दो केले खाकर गुनगुना दूध पिएँ, केला रोज खाने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है, चित्तीदार या धब्बेदार, पतले छिलके वाला केला खाना अधिक लाभदायक होता है।
  • भोजन के बाद यदि दो केले रोज खाए जाएँ तो ये भोजन भी पचाते हैं और बल बढ़ाते हैं, इससे पाचन शक्ति ठीक होती है।
  • एक गिलास दूध में एक चम्मच घी, एक चुटकी पिसी इलायची मिला लें, एक टुकड़ा केला खाएँ और साथ ही एक घूँट दूध पिएँ।
  • इस प्रकार दो केले नित्य खाने से शरीर सुडौल, मोटा होता है, बल वीर्य तथा शुक्राणु (स्पर्म) की वृद्धि होती है, दिमागी ताकत तथा कामशक्ति बढ़ती है, स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक होता है।

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फल एक फायदे अनेक भाग:2 (अंगूर-Grape)

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अंगूर का फलों में बहुत महत्व है यह स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी है.अंगूर रस से भरा खाने में कोमल एवं शीतलता प्रदान करने वाला होता है.अंगूर अपने रंग ,आकार तथा स्वाद में भिन्नता के फलस्वरूप अनेक किस्मों में पाया जाता है जैसे की काले अंगूर,हरा अंगूर ,लाल, बैगनी रंग के अंगूर, लम्बे अंगूर, छोटे अंगूर, इत्यादी.

किशमिश और मुनक्के जैसे मेवे अंगूर को सुखा कर बनाए जाते हैं.जिसमें बीज रहित अंगूर को सुखाकर किशमिश बनाई जाती है और काले अंगूरों को सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है.इसके अलावा अंगूर से जैम,जैली,जूस,सिरका और वाइन भी बनाई जाती है.अंगूर स्वस्थ और रोगी दोनो के लिए ही पौष्टिक एवं शक्तिप्रद आहार है.

अंगूर के विभिन्न नाम अंगूर को अनेक नामों से संबोधित किया जाता है जैसे की अंगूर को संस्कृत में द्राक्षा,गोस्तनी, कशिषा,हारहूरा,बंगला में बेदाना,कटकी या मनेका,गुजराती में धराख,दशक,फारसी में अंगूर,मवेका,अरबी में एनवजबीब,इंग्लिश में ग्रेप या ग्रेप रैजिन्स तथा लैटिन में विटिस्‌ विनिफेरा नाम से जाना जाता है.

अंगूर पोषक तत्वों से भरपूर अंगूर में विभिन्न पौष्टिक तत्व मौजूद होते है इसमें विटामिन ए, बी और विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम तथा सोडियम क्लोरॉइड, पोटेशियम क्लोरॉइड, पोटेशियम सल्फेट, मैग्निशियम तथा एल्युमिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी तरह से ग्लूकोज से बनी होती है जो शरीर में पहुंचकर एनर्जी प्रदान करती है.

अंगूर के लाभ
  • अंगूर स्वास्थ के लिए गुणकारी फल है यह एक सुपाच्य फल है जो सभी के लिए पथ्य है अंगूर का सेवन करने से वात , कफ, पित्त और रक्तपित्त रोगों का नाश होता है.
  • रोजाना अंगूर का रस सेवन करने से पाचनशक्ति ठीक होती है, कब्ज दूर होती है. सिर दर्द, चक्कर आना, छाती के रोग, क्षय रोग आदी में यह बहुत उपयोगी है.
  • अंगूर के रस का नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होता है और दिमाग तेज होता है.
  • अंगूर हृदय की दुर्बलता को दूर करता है हृदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं. अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है,
  • इससे खाँसी में भी आराम आता है.
  • अंगूर् एक अच्छा रक्त शोधक व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है.
  • यह शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है जिससे सेहत और सौंर्दय में निखार आता है
  • अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है।
  • यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है।
  • बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है।
  • अंगूर आँखों के लिए हितकर होता है।
  • अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है।
  • अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है । 
  • अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है।
  • श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है।
  • नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है।
  • अंगूर का शरबत लो ""अमृत तुल्य"" है।
  • शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता  है।
  • अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है।
  • हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है।
  • बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है।
  • पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है।
  • अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है।
  • अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है।
  • एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है।
  • उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें।
  • पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
  • गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है।
  • अंगूर के सेवन से हडि्डयाँ मजबूत होती हैं।
  • अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है।
  • भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
  • अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।

फल एक फायदे अनेक भाग:1 (संतरा-Santara, Orange)

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संतरा जिसे कुछ लोग नारंगी भी कहते हैं रस से भरपूर स्वादिष्ट लोकप्रिय फल है.संतरा स्वाद में खटटा-मीठा एवं मधुर होता है यह ठंडा ,शीतल, शक्तिवर्द्धक फल है संतरे का सेवन तन और मन को प्रसन्नता देने वाला है यह उपवास के समय भी फलाहार रुप में खाया जा सकता है.भारत में बड़े पैमाने पर संतरे की खेती कि जाती है और गर्मी के मौसम में इसकी खपत ज्यादा होती है.

संतरे के रासायनिक तत्व संतरे में विटामिन ए, बी ,और सी प्रचुर मात्रा मे होते हैं इसके अलावा इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट ,ग्लूकोज और मैग्नेशियम, सोडियम, लौह, पोटाशियम, फास्फोरस, कैल्शियम जैसे खनिज लवण भी काफी मात्रा में होते हैं जो दांतों व हड्डियों को मजबूत बनाते है. संतरे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को संक्रमण से दूर रखने में कारगर होते हैं.

स्वाद से भरा संतरा संतरा खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है.संतरे के छिलके को उतार कर इसे फांको के रुप में खाया जाता है जो रस एवं गुदे से भरी होती हैं और खाने में स्वादिष्ट लगती हैं. संतरे का जूस बनाया जाता है इसके अलावा संतरे से फ्रूट चाट बनाई जाती है बाजार में संतरे के स्वाद वाली चटपटी गोलियां भी मिलती हैं जो खाने में मजेदार लगती है.संतरे को केक बनाने में तथा कई तरह के पेय पदार्थों में उपयोग किया जाता है.

संतरा स्वास्थ्यवर्धक फल संतरा अनेक रोगों के लिए रामबाण दवा है. इसके इस्तेमाल से दिल और दिमाग को ताजगी मिलती है पेट की बीमारी में इसका रस बहुत फ़ायदेमंद होता है यह पाचन शक्ति को दुरुस्त करता है तथा कमजोर पाचन शक्ति वालों को इसके रस का अधिक सेवन करने से लाभ मिलता है यह भूख को बढाता है और हाजमा बेहतर करता है. कब्ज होने पर इसका रस पीने से कब्ज दूर होती है.बुखार में भी इसका रस बहुत लाभ करता है।

सौंदर्य बढाता संतरा संतरा स्वास्थ के साथ-साथ सुंदरताके लिए भी गुणकारी है. संतरे का रस रोजाना सेवन करने से खून की कमी दूर होती है इसके साथ ही संतरा रक्तशोधक का काम करता है जिससे तव्चा के रोग नही होते हैं कील-मुंहासों से छुटकारा मिलता है और चहरे की झाइयाँ व संवालापन दूर होता है.हाथ-पैर की जलन आदि में संतरे के छीलके को मलने से लाभ मिलता है.

संतेरे के छिलके को धुप में सुखाकर पीस लें और इस चूर्ण में गुलाब जल और कच्चे दूध को मिलाकर इसका का उबटन बनाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा चिकनी और मुलायम बनती है.संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है.

संतरे का एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान एवं तनाव दूर करता है, हृदय तथा मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है।


पेचिश की शिकायत होने पर संतरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से काफी फायदा मिलता है।

संतरे का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है। रक्तस्राव को रोकने की इसमें अद्भुत क्षमता है।

तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से तापमान कम हो जाता है। इसमें उपस्थित साइट्रिक अम्ल मूत्र रोगों और गुर्दा रोगों को दूर करता है।

दिल के मरीज को संतरे का रस शहद मिलाकर देने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।

संतरे के सेवन से दाँतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।

छोटे बच्चों के लिए तो संतरे का रस अमृततुल्य है। उन्हें स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतरे का रस मिलाकर पिलाने से यह एक आदर्श टॉनिक का काम करता है।

जब बच्चों के दाँत निकलते हैं, तब उन्हें उल्टी होती है और हरे-पीले दस्त लगते हैं। उस समय संतरे का रस देने से उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।

पेट में गैस, अपच, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, गठिया, बेरी-बेरी रोग में भी संतरे का सेवन बहुत कुछ लाभकारी होता है।

गर्भवती महिलाओं तथा यकृत रोग से ग्रसित महिलाओं के लिए संतरे का रस बहुत लाभकारी होता है। इसके सेवन से जहाँ प्रसव के समय होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है, वहीं प्रसव पीड़ा भी कम होती है। बच्चा स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट पैदा होता है।

संतरे का सेवन जहाँ जुकाम में राहत पहुँचाता है, वहीं सूखी खाँसी में भी फायदा करता है। यह कफ को पतला करके बाहर निकालता है।

संतरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर आधे घंटे तक लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ, सुंदर और कांतिमान हो जाता है। कील मुँहासे-झाइयों व साँवलापन दूर होता है।

संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसका रस सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बढ़ते हैं और उसका कालापन बढ़ता है।

संतरे के छिलकों से तेल निकाला जाता है। शरीर पर इस तेल की मालिश करने से मच्छर आदि नहीं काटते।

बच्चे, बूढ़े, रोगी और दुर्बल लोगों को अपनी दुर्बलता दूर करने के लिए संतरे का सेवन अवश्य करना चाहिए।

संतरे के मौसम में इसका नियमित सेवन करते रहने से मोटापा कम होता है और बिना डायटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं।

इस तरह संतरा सेहत को ही नहीं, खूबसूरती को भी संवारता है। हमेशा पके व मीठे संतरे का ही सेवन करना चाहिए। गर्मियों में संतरे की फसल अपने पूरे जोर पर होती है।

Monday, March 7, 2011

CONSTIPATION REMEDIES

Constipation is a common disturbance of the digestive tract. In this condition, the bowels do not move regularly, or are not completely emptied when they move. This condition is the chief cause of many diseases as it produces toxins which find their way into the bloodstream and are carried to all parts of the body. Appendicitis, rheumatism, arthritis, high blood pressure, cataract., and cancer are only a few of the diseases in which chronic constipation is an important predisposing factor.

Constipation Symptoms

Infrequency, irregularity in elimination of hard faecal matter

The most common symptoms of constipation are infrequency, irregularity or difficulty in elimination of the hard faecal matter.

Coated tongue, Foul breath, headache, depression, insomnia etc

The other symptoms include a coated tongue, foul breath, loss of appetite, headache, dizziness, dark circles under the eyes, depression, nausea, pimples on the face, ulcer in the mouth, constant fullness in the abdomen, diarrhoea alternating with constipation, varicose veins, pain in the lumbar region, acidity, heart burn, and insomnia.

Causes of Constipation

Faulty diet and style of living
The most important causes of chronic constipation are a faulty diet and style of living.

Insufficient intake of water, strong tea and coffee etc
Intake of refined and rich foods lacking in vitamins and minerals, insufficient intake of water, consumption of meat in large quantities, excessive use of strong tea and coffee, insufficient chewing, overeating and wrong combination of foods, irregular habits of eating and drinking may all contribute to poor bowel function.

Irregular habit of defecation, lack of physical activity
Other causes include faulty and irregular habit of defecation, frequent use of purgatives, weakness of abdominal muscles due to sedentary habits, lack of physical activity, and emotional stress and strain.

Home Remedies for Constipation

Constipation treatment using Bael Fruit
Generally all fruits, except banana and jack fruit, are beneficial in the treatment of constipation. Certain fruits are, however, more effective. Bael fruit is regarded as the best of all laxatives. It cleans and tones up the intestines. Its regular use for two or three months throws out even the old accumulated faecal matter. It should be preferably taken in its original form and before dinner. About sixty grams of the fruit are sufficient for an adult.

Constipation treatment using Pear
Pears are beneficial in the treatment of constipation. Patients suffering from chronic constipation should adopt an exclusive diet of this fruit or it's juice for a few days, but in ordinary cases, a medium-sized pear taken after dinner or with breakfast will have the
desired effect.

Constipation treatment using Guava
Guava is another effective remedy for constipation. When eaten with seeds, it provides roughage to the diet and helps in the normal evacuation of the bowels. One or two guavas should be taken everyday.

Constipation treatment using Grapes
Grapes have proved very beneficial in overcoming constipation. The combination of the properties of the cellulose, sugar, and organic acid in grapes make them a laxative food. Their field of action is not limited to clearing the bowels only. They also tone up the stomach and intestines and relieve the most chronic constipation. One should take at least 350 gm of this fruit daily to achieve the desired results. When fresh grapes are not available, raisins, soaked in water, can be used. Raisins should be soaked for twenty-four to forty-eight hours. This will make them swell to the original size of the grapes. They should be eaten early in the morning, along with the water in which they have been soaked.

Constipation treatment using Orange
Orange is also beneficial in the treatment of constipation. Taking one or two oranges at bedtime and again on rising in the morning is an excellent way of stimulating the bowels. The general stimulating influence of orange juice excites peristaltic activity and helps prevent the accumulation of food residue in the colon.

Constipation treatment using Papaya and Figs
Other fruits specific for constipation are papaya and figs. Half a medium-sized papaya should be eaten at breakfast for it to act as a laxative. Both fresh and dry figs have a laxative effect. Four or five dry figs should be soaked overnight in a little water and eaten in the morning.

Constipation treatment using Spinach
Among the vegetables, spinach has been considered to be the most vital food for the entire digestive tract from time immemorial. Raw spinach contains the finest organic material for the cleansing, reconstruction, and regeneration of the intestinal tract. Raw spinach juice-100 ml, mixed with an equal quantity of water and taken twice daily, will cure the most aggravated cases of constipation within a few days.

Constipation treatment using Other Remedies
Half a lime, squeezed is a glass of hot water, with half a teaspoon of salt is also an effective remedy for constipation. Drinking water which has been kept overnight in a copper vessel, first thing in the morning, brings good results. Linseed (alse) is extremely
useful in difficult cases of constipation. A teaspoon of linseed swallowed with water before each meal provides both roughage and lubrication.

Constipation diet

Natural and simple diet consisting of unrefined foods
The most important factor in curing constipation is a natural and simple diet. This should consist of unrefined foods such as wholegrain cereals, bran, honey, lentils, green and leafy vegetables, fresh and dry fruits, and milk products in the form of butter, ghee, and cream. The diet alone is not enough.

Chew food properly, Avoid hurried meals and irregular meals
Food should be properly chewed. Hurried meals and meals at odd times should be avoided. Sugar and sugary foods should be strictly avoided. Foods which constipate are all products made of white flour, rice, bread, pulses, cakes, pastries, biscuits, cheese, fleshy foods, preserves, white sugar, and hard-boiled eggs.

Other Constipation treatments

Fresh air, outdoor games and exercise
Toning up the muscles also helps in the treatment of constipation. Fresh air, outdoor games, walking, swimming, and exercise play an important role in strengthening the muscles, and thereby preventing constipation.


Warning: The reader of this article should exercise all precautionary measures while following instructions on the home remedies from this article. Avoid using any of these products if you are allergic to it. The responsibility lies with the reader and not with the site or the writer.
This information is solely for informational purposes. IT IS NOT INTENDED TO PROVIDE MEDICAL ADVICE and should not be treated as a substitute for the
medical advice of your own doctor.

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